ग़ज़ल - megha rathi bhopal


ग़ज़ल


हुए हैं हद से भी बेहद सितम अब तो चले आओ
लो रख दी लब पे हमने भी क़सम अब तो चले आओ



मेरी आँखों मे तारों की सजी बारात है कब से
कमी है चाँद की केवल सनम अब तो चले आओ


भटकती रूह राहों पे निगाहें डाले फिरती है
न लेंगे हम दुबारा फ़िर जनम अब तो चले आओ


कहो कैसे चले आये थे शब को ख़्वाब में जानम
जगे बैठे हैं कब से दर पे हम अब तो चले आओ


मुझे आदत है अश्कों के नमक को चखते रहने की
वही है रोज़ के जैसा ये ग़म अब तो चले आओ


तसव्वुर में तेरे रातें सुलाना भूल जाती हैं
कहाँ हो तुम? हुई है आंख नम अब तो चले आओ


कसर है बस जरा बाकी मेरे खामोश होने में
नहीं फिर ये कहेंगे हम बलम अब तो चले आओ



Megha Rathi



Popular posts
साध्वी प्रज्ञा और शिवराज के खिलाफ हल्ला-बोल, कमलनाथ सरकार के मंत्री बोले- दिल्ली में करें नौटंकी
कोरोना देश में LIVE / आज सबसे अच्छी खबर- पहली बार बीमार लोगों से ज्यादा हुई स्वस्थ मरीजों की संख्या; देश में अब तक 2.77 लाख मामले
Image
प्रसिद्ध समाजसेवी डॉ योगेश दुबे मुंबई की राजकुमार सोनी से बातचीत
Image
सीमा विवाद पर भारत की दो टूक / अफसरों ने कहा- चीन बॉर्डर से अपने 10 हजार सैनिक और हथियार हटाए, ऐसा होने पर ही पूरी तरह शांति कायम होगी
उत्तराखंड के चारधाम / बद्रीनाथ को रोज चढ़ाई जाती है बद्रीतुलसी, यहां के बामणी गांव के लोग बनाते हैं ये माला