रतनगढ़ मंदिर पहुंचे 20 लाख श्रद्धालु, पांच हजार सर्पदंश पीडि़तों के कटे बंध


दतिया/सेवढ़ा। देशभर में सर्पदंश पीडि़तों के बंध काटने के लिए मशहूर रतनगढ़ माता मंदिर में लगे मेले में दो दिनों में 20 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। सोमवार रात से ही भक्तों ने यहां डेरा डाल रखा था। मंगलवार को दिवाली की दौज पर आयोजित लख्खी मेला में पहली बार रतनगढ़ माता को फूल बंगला के रूप में सजाया गया। मेला परिसर में 2717 पुलिस कर्मचारी व 2200 से अधिक राजस्व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई। रतनगढ़ मेला में इस बार पांच हजार से अधिक लोगों के बंध काटे गए। इस बार बंध काटने के लिए पंचायत कर्मचारियों को तैनात कि या गया था। मालूम हो, रतनगढ़ माता मंदिर में सर्प काटने पर उसे रतनगढ़ माता के नाम से बांध दिया जाता है। मान्यता है कि दौज पर पीडि़त व्यक्ति मंदिर की सीमा पर आते ही अचेत हो जाता है। सिंध नदी पर स्नान के बाद कुंअर बाबा की परिक्रमा लगाए जाने के बाद वह ठीक हो जाता है।


स्ट्रेचर नहीं मिला तो कंधों पर ही ले गए
मंदिर में सर्पदंश पीडि़त लोगों के बड़ी संख्या में पहुंचने के चलते प्रशासन की ओर से 1800 स्ट्रेचर की व्यवस्था की गई थी। इसके बावजूद भी कम पड़ गए। शहराई गांव में रहने वाले प्राण सिंह अपनी परिवारजनों के साथ यहां पर पहुंचे। वे पत्नी को बंध काटने के लिए यहां पर लेकर आए। नदी में स्नान के बाद जब यहां पर स्ट्रेचर नहीं मिला तो वह परिजनों के साथ पत्नी को कंधों पर ही लेकर निकल गए। परिक्रमा के बाद उन्हें स्ट्रेचर मिला। अन्य कई लोग भी स्ट्रेचर नहीं मिलने के चलते परेशान नजर आए।


मुस्लिम लोग भी पहुंचे मंदिर
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी पहुंचकर रतनगढ़ माता मंदिर के दर्शन किए। उरई में रहने वाले मोहम्मद खान, मोठ निवासी इकरार खान आदि ने बताया कि उनके पशुओं को सांप ने डस लिया था इसके बाद रतनगढ़ माता के नाम का बंध बांधा गया। हमारी ओर से आज बंध कटवाए गए।


20 किमी तक पैदल चले वाहन से आने वाले लोग
मेला के दौरान कि सी प्रकार की कोई घटना न हो इसके चलते 15 कि मी दूर तक पार्किंग बनाई गई थी लेकि न यहां पर मौजूद पुलिसकर्मचारियों की ओर से 20 कि मी पहले ही वाहनों को रोक दिया। वाहनों से आने वाले भक्तों को करीब 20 कि मी पैदल चलना पड़ा। ग्वालियर से रामनरेश सिंह, अवतार सोलंकी आदि ने बताया कि हम लोग अपने वाहन से आए लेकिन पहले ही रोक दिए गए। हमारे साथ महिलाएं और बच्चे भी है पैदल चलकर हमारा तो दम सा ही निकल गया।


जवारे चढ़ाने के लिए अलग से थी व्यवस्था
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी जवारे चढ़ाए जाने के लिए अलग से व्यवस्था की गई थी। दूर दराज से महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और पुरुषों की ओर से माता के नाम का झंडा और जवारे लेकर ढोल तासों के साथ पहुंचे और इन लोगों की ओर से जवारे चढ़ाए गए।


300 से अधिक जगहों पर हुए भंडारे के आयोजन
रतनगढ़ मेला पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए जिलेभर में करीब 300 से अधिक जगहों पर भंडारे का आयोजन हुआ। जहां पर लोगों ने पहुंचकर प्रसादी ग्रहण की। शहर में भंडारे का दौर सोमवार से ही शुरु हो गया था। सेंथरी, थरेट, सेंगुवा, जोनिया, कुदारी, दतिया-सेवढ़ा रोड, चरोखरा, भगुवापुरा, भांडेर रोड, चिरगांव रोड, उनाव रोड, बस स्टैंड के पास आदि जगहों पर भोजन, पानी, चाय आदि की व्यवस्था की गई, जहां पर लाखों की संख्या में भक्तों ने पहुंचकर प्रसादी ग्रहण की।



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