कोरोना: तबलीगी जमात पर शिकंजा कसा, FIR में जुड़ी गैर इरादतन हत्या की धारा
नई दिल्ली
निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात का कार्यक्रम भारत के लिए मुसीबत का सबब बन गया। पूरे देश से सैकड़ों ऐसे मामले आए हैं जो जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इन लोगों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर भी कोरोना वायरस फैलाया। तबलीगी जमात के खिलाफ मार्च के आखिर में ही महामारी एक्ट और IPC की कई धाराओं में केस दर्ज किया गया था। अब खबर है कि जमात प्रबंधन के खिलाफ IPC की धारा 304 (गैर इरादतन) हत्या भी जोड़ दी गई है।
1890 विदेशी जमातियों के खिलाफ नोटिस
दिल्ली पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद धारा 304 भी जोड़ी। इसके बाद आरोपियों की अग्रिम जमानत मुश्किल हो जाएगी। आपराधिक षडयंत्र का मामला पहले से दर्ज है। क्राइम ब्रांच ने जमात के 1890 विदेशियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया है। पुलिस का कहना है कि ये वीजा नियमों का उल्लंघन कर कार्यक्रम में शामिल हुए थे। निजामुद्दीन मरकज के 18 लोगों को भी जांच में शामिल होने का नोटिस दिया गया है। अब तक जमात से जुड़े डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों को पकड़ा गया है जिनमें 400 से ज्यादा विदेशी हैं।
मौलाना साद का क्वारंटीन खत्म
तबलीगी जमात मरकज के मुखिया मौलाना मुहम्मद साद कांधलवी का क्वारंटीन पीरियड खत्म हो गया है। आखिरी बार, 28 मार्च को वह दिखाई दिए थे। इसके बाद उनका एक ऑडियो रिलीज किया गया जिसमें उन्होंने कहा कि वे सेल्फ आइसोलेशन में हैं। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जो FIR दर्ज की है, उसमें साद का नाम भी है।
पहले ही मांगी थीं फायनेंशियल डिटेल्स
पुलिस ने आलमी मरकज और इसके निजामुद्दीन स्थित मुख्यालयों की फंडिंग के स्रोत की जानकारी मांगी। जमात ने पिछले तीन सालों में कितना टैक्स भरा है, उसके बैंक खातों में कहां-कहां से कितने पैसे आए हैं, इन सब डीटेल्स के साथ पैन भी मांगा गया। मरकज के प्रमुख मौलाना साद और छह अन्य सदस्यों से उन विदेशियों और भारतीय जमातियों की लिस्ट भी मांगी गई जिन्होंने 11 से 13 मार्च के दौरान आयोजित 'जोड़' कार्यक्रम में शिरकत की थी।
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कैसे हुई पहचान?
निजामुद्दीन क्षेत्र में स्थित कई मोबाइल टावरों की मदद से 14 मार्च से लेकर 22 मार्च तक का एक बड़ा डेटा निकाला गया। ताकि तबलीगी जमात मरकज के आसपास के क्षेत्र में उस दौरान हुए 'ह्यूमन ट्रैफिक' की सही पहचान हो सके, जहां विभिन्न तारीखों में लगभग 7000 जमाती इस धार्मिक बैठक के लिए एकत्रित हुए थे। दिल्ली पुलिस और दक्षिण पूर्व दिल्ली में संबंधित सिविक अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रखा गया था। वहीं ग्राउंड जीरो पर, अधिकारियों ने पाया कि 23 मार्च तक 1500 जामातियों ने मरकज छोड़ दिया, लेकिन उनमें से 1,000 लोग इस घनी आबादी वाले निजामुद्दीन इलाके में बनी जमात की छह मंजिला इमारत में रुके हुए थे।
पुलिस यह पता लगाने में भी जुटी है कि मरकज से कितने लोगों को दिल्ली की दूसरी मस्जिदों या फिर घरों में शिफ्ट किया गया। मरकज के मेंबर्स से यह भी पूछा गया कि उनके संगठन के नाम से कर्फ्यू पास जारी किए गए थे और 12 मार्च के बाद कौन-कौन से सरकारी अधिकारी उनके यहां पहुंचे थे।
मौलाना साद का क्वारंटीन खत्म
तबलीगी जमात मरकज के मुखिया मौलाना मुहम्मद साद कांधलवी का क्वारंटीन पीरियड खत्म हो गया है। आखिरी बार, 28 मार्च को वह दिखाई दिए थे। इसके बाद उनका एक ऑडियो रिलीज किया गया जिसमें उन्होंने कहा कि वे सेल्फ आइसोलेशन में हैं। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जो FIR दर्ज की है, उसमें साद का नाम भी है।
पहले ही मांगी थीं फायनेंशियल डिटेल्स
पुलिस ने आलमी मरकज और इसके निजामुद्दीन स्थित मुख्यालयों की फंडिंग के स्रोत की जानकारी मांगी। जमात ने पिछले तीन सालों में कितना टैक्स भरा है, उसके बैंक खातों में कहां-कहां से कितने पैसे आए हैं, इन सब डीटेल्स के साथ पैन भी मांगा गया। मरकज के प्रमुख मौलाना साद और छह अन्य सदस्यों से उन विदेशियों और भारतीय जमातियों की लिस्ट भी मांगी गई जिन्होंने 11 से 13 मार्च के दौरान आयोजित 'जोड़' कार्यक्रम में शिरकत की थी।
कैसे हुई पहचान?
निजामुद्दीन क्षेत्र में स्थित कई मोबाइल टावरों की मदद से 14 मार्च से लेकर 22 मार्च तक का एक बड़ा डेटा निकाला गया। ताकि तबलीगी जमात मरकज के आसपास के क्षेत्र में उस दौरान हुए 'ह्यूमन ट्रैफिक' की सही पहचान हो सके, जहां विभिन्न तारीखों में लगभग 7000 जमाती इस धार्मिक बैठक के लिए एकत्रित हुए थे। दिल्ली पुलिस और दक्षिण पूर्व दिल्ली में संबंधित सिविक अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रखा गया था। वहीं ग्राउंड जीरो पर, अधिकारियों ने पाया कि 23 मार्च तक 1500 जामातियों ने मरकज छोड़ दिया, लेकिन उनमें से 1,000 लोग इस घनी आबादी वाले निजामुद्दीन इलाके में बनी जमात की छह मंजिला इमारत में रुके हुए थे।
पुलिस यह पता लगाने में भी जुटी है कि मरकज से कितने लोगों को दिल्ली की दूसरी मस्जिदों या फिर घरों में शिफ्ट किया गया। मरकज के मेंबर्स से यह भी पूछा गया कि उनके संगठन के नाम से कर्फ्यू पास जारी किए गए थे और 12 मार्च के बाद कौन-कौन से सरकारी अधिकारी उनके यहां पहुंचे थे।