भोपाल। मध्य प्रदेश को झकझोर कर रख देने वाले कोरोना संक्रमण को लेकर अब एक बड़ा खुलासा हुआ है। सूबे के स्वास्थ्य विभाग में फैले इस संक्रमण का आखिरकार पता लगा लिया गया है कि ये किसके जरिए और कैसे फैला। संक्रमण फैलने को लेकर हुई विभागीय जांच में खुलासा हुआ है कि विभाग के एक डिप्टी डायरेक्टर ने संक्रमण काल के दौरान ही बस में इंदौर से भोपाल तक सफर किया था। जिनके साथ ये संक्रमण विभाग में आया और एक के बाद एक अधिकारियों और कर्मचारियों को इसने चपेट में ले लिया। इस खुलासे के साथ ही अब तक आईएएस अधिकारी पल्लवी जैन गोविल और जे विजय कुमार पर लग रहे आरोपों पर विराम लग गया है। दोनों अधिकारियों पर आरोप था कि इन्होंने अपने परिवार की ट्रैवल हिस्ट्री नहीं बतायी थी। बाद में ये दोनों अफसर भी कोरोना पॉजिटिव मिले थे। दोनों ही अफसर जब पॉजिटिव मिले थे उस दौरान वे लोग स्वास्थ्य विभाग का कामकाज संभाल रहे थे।
वायरस पसार चुका था पैर
जानकारी में सामने आया कि जब स्वास्थ्य विभाग के ये डिप्टी डायरेक्टर बस में बैठ कर भोपाल आए थे उस दौरान वायरस ने इंदौर में अपने पैर पसार लिए थे। लेकिन इस पूरे समय में एक भी कोरोना टेस्ट राज्य में नहीं किया गया था। साथ ही जांच में ये भी सामने आया है कि शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने से पहले इंदौर के कुछ इलाके ऐसे भी थे जहां पर मौत के आंकड़ों में अचानक उछाल आया था।
डॉक्टर भी दे रहे थे खांसी जुकाम की दवा
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार कोरोना संक्रमण के राज्य में फैलने का अंदेशा किसी को भी नहीं था। एक तरफ वायरस का संक्रमण बढ़ रहा था और लोग इसे सामान्य खांसी जुकाम मान रहे थे। यहां तक की डॉक्टरों को भी इसका अंदाजा नहीं था और वे खांसी जुकाम की ही दवा लोगों को दे रहे थे। लेकिन इस दौरान कोरोना संक्रमण तेजी से फैला।