कहानी अदम्य साहस की / ग्रेनेड छिपाए आतंकी जवानों की ओर बढ़ रहा था, कर्नल आशुतोष ने उसे करीब जाकर गोली मारी; इसी शौर्य के लिए पिछले साल सेना मेडल से नवाजे गए थे

कहानी अदम्य साहस की / ग्रेनेड छिपाए आतंकी जवानों की ओर बढ़ रहा था, कर्नल आशुतोष ने उसे करीब जाकर गोली मारी; इसी शौर्य के लिए पिछले साल सेना मेडल से नवाजे गए थे




  • शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा के परिवार में पत्नी और 12 साल की एक बेटी है। दोनों जयपुर में रहते हैं। (फाइल फोटो)शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा के परिवार में पत्नी और 12 साल की एक बेटी है। दोनों जयपुर में रहते हैं। (फाइल फोटो)





  • ये दूसरी बार हुआ, जब 21 राष्ट्रीय राइफल्स ने आतंकी मुठभेड़ में अपना कमांडिंग ऑफिसर खोया

  • इससे पहले 2000 में कर्नल रजिंदर चौहान शहीद हुए थे, 5 साल बाद सेना का कमांडिंग ऑफिसर शहीद




 



नई दिल्ली. कर्नल आशुतोष शर्मा कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीद हो गए। पर कश्मीर उनकी जांबाजी से पहले भी वाकिफ होता रहा है। कई दफा। एक दिन की बात है। कर्नल आशुतोष शर्मा के जवान सड़क पर तैनात थे। एक आतंकी कश्मीरी फिरन पहने उनकी ओर बढ़ रहा था। कर्नल आशुतोष की पैनी नजर उस आतंकी पर पड़ी और उन्होंने नजदीक जाकर यानी प्वाइंट ब्लैंक रेंज से उसे गोली मार दी।


कर्नल आशुतोष ने तब ऐसा कर वहां तैनात अपने और जम्मू कश्मीर पुलिस के कई जवानों की जान बचा ली थी। वे तकरीबन ढाई साल से 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर थे। कमांडिंग ऑफिसर रहते ही उन्हें पिछले साल इस जांबाजी के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। इससे पहले भी उन्हें एक बार और सेना मेडल दिया जा चुका है।


आपको पता ही होगा कि राष्ट्रीय राइफल्स सेना का वह हिस्सा है, जो कश्मीर में काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन्स की अगुआई करती है। 21 राष्ट्रीय राइफल्स का हेडक्वार्टर हंदवाड़ा में ही है, जो कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में पड़ता है। कर्नल आशुतोष यूं तो उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं, लेकिन उनका परिवार इन दिनों जयपुर में रह रहा है। परिवार में पत्नी और 12 साल की बेटी है।


2000 में इसी यूनिट ने एक और कमांडिंग ऑफिसर खोया था


ये दूसरा मौका है, जब इसी 21 राष्ट्रीय राइफल्स ने अपने कमांडिंग ऑफिसर को खोया है। इससे पहले साल 2000 में आतंकियों के आईईडी ब्लास्ट में 21 आरआर के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल रजिंदर चौहान शहीद हो गए थे। इस घटना में उनके साथ ब्रिगेडियर बीएस शेरगिल और पांच जवान भी शहीद हुए थे।


5 साल बाद आतंकी मुठभेड़ में कमांडिंग ऑफिसर शहीद
2015 की शुरुआत में 27 जनवरी को 42 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल एमएन राय कश्मीर के त्राल में एक एनकाउंटर के दौरान शहीद हुए थे। कर्नल राय गोरखा रेजिमेंट से थे और उत्तरप्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले थे। उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। याद ही होगा आपको, तब उनकी 11 साल की बेटी ने उन्हें सलामी देते हुए गोरखा रेजिमेंट का वॉर क्राय बोला था। लोग आंसू नहीं रोक पाए थे।


2015 में इसी कुपवाड़ा के हाजी नाका जंगल में आतंकियों से मुठभेड़ में 41 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष महाडिक शहीद हुए थे। वे महाराष्ट्र के रहने वाले थे।



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