कविता - जल थल नभ जीवन हैंअस्त व्यस्त


कविता

जल थल नभ जीवन हैंअस्त व्यस्त

 

जल थल नभ जीवन हैंअस्त व्यस्त

इक्क्षाशक्ति से हम सब कर सकते हैं स्वस्थ्य।

घर मे ही रहिये यही है विकल्प

उपयोगी हैं री यूज़ मास्क कर ले संकल्प ।

पर्यावरण में हो रहा सुधार

पर प्रगतिशील जीवन का हो गया बेहाल।

जलचर नभचर थलचर में हैं कोलाहल ।

दृढ़संकल्प से  हम कर सकते हलचल ।

घर मे रहिये,सुरक्षित चलिये तभी गतिशीलता

की ओर बढ़ पायेंगे हम सब ,हम सब

जय माँ भारती

 

दीपाली सन्दीप गुप्ता

संयोजक

राष्ट्रीय रक्तदान शिविर

अखिल भारतीय माथुर वैश्य महासभा


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