मन की बात / प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवासियों के पलायन पर कहा- गांव, जिले और राज्य आत्मनिर्भर होते तो समस्या ऐसी नहीं होती, जैसी आज हमारे सामने खड़ी है
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- कोरोना काल में हरिद्वार से हॉलीवुड तक लोग योग अपना रहे, यह कम्युनिटी, इम्युनिटी और यूनिटी के लिए बेहतर साबित हो सकता है
- उन्होंने कहा- अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा खुल गया है, ऐसे में और सावधानी रखने की जरूरत है, दो गज की दूरी और मास्क लगाने में ढिलाई नहीं होनी चाहिए
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लॉकडाउन के बीच तीसरी बार 'मन की बात' कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा खुल गया है, ऐसे में और सावधानी रखने की जरूरत है। दो गज की दूरी, मास्क लगाना, इसमें ढिलाई नहीं होनी चाहिए। हमारे देश की आबादी कई देशों से ज्यादा है, इसलिए चुनौतियां भी ज्यादा हैं, लेकिन हमारे यहां काफी कम नुकसान हुआ है। जो कुछ हम बचा पाएं हैं, वो सामूहिक कोशिश से हुआ है।’’ प्रधानमंत्री ने इससे पहले 29 मार्च और फिर 26 अप्रैल को 'मन की बात' की थी।
उन्होंने कहा कि कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो कोरोना महामारी के असर से प्रभावित नहीं हुआ है। गरीबों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा। कौन ऐसा होगा जो उनकी तकलीफ नहीं समझेगा। पूरा देश उन्हें समझने में लगा है। हर विभाग के कर्मचारी उनके लिए जुटे हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘रेलवे के कर्मचारी कोरोना वॉरियर्स ही हैं। मजदूरों को भेजने, खाने-पीने, टेस्टिंग की व्यवस्था की जा रही है। मजदूर अपने गांव की तरफ जा रहे हैं। मेरा मानना है कि गांवों में नवोद्योगों की कई संभावनाएं खुली हैं। हमारे गांव, जिले, राज्य आत्मनिर्भर होते तो समस्या इस रूप में नहीं आई होती जो आज हमारे सामने खड़ी है।’’
मोदी के भाषण की 7 बड़ी बातें (हौसला, विरासत की ताकत, योजना, अपील और उम्मीद पर चर्चा )
1. देशवासियों की सेवा ही हमारी सबसे बड़ी ताकत
हमारी सबसे बड़ी ताकत देशवासियों की सेवा है। हमारे यहां सेवा परमो धर्म कहा गया है। दूसरों की सेवा में लगे व्यक्ति में कोई डिप्रेशन नहीं दिखता। उसके जीवन में जीवंतता प्रतिपल नजर आती है। डॉक्टर, मीडिया, नर्सिंग स्टाफ, पुलिस जो सेवा कर रहे हैं, उनकी मैंने कई बार चर्चा की है। इनकी संख्या अनगिनत हैं।
अगरतला के ठेला चलाने वाले एक व्यक्ति रोज अपने घर से खाना बनाकर लोगों को बांट रहा है। देश के कई इलाकों से सेवा की कहानियां सामने आ रही हैं। हमारी मांएं-बहनें लाखों मास्क बना रही हैं। कई लोग मुझे नमो ऐप पर मुझे अपने प्रयासों के बारे में बता रहे हैं। मैं समयाभाव के चलते कई लोगों का नाम नहीं ले पाता, पर उनका तहेदिल से अभिनंदन करता हूं।
2. लोगों का इनोवेशन दिल छू गया
एक बात जो दिल को छू गई, वह है लोगों का इनोवेशन। नासिक के एक गांव में किसान ने ट्रैक्टर से जोड़कर सैनिटाइजेशन मशीन बनाई है। कई दुकानदारों ने सोशल डिस्टेंसिंग के लिए एक पाइप लगाया है। इसमें ऊपर से सामान डालते हैं, जो दूसरी तरफ ग्राहक को मिल जाता है। इस महामारी पर जीत के लिए ये इनोवेशन ही बड़ा आधार है। इससे लंबी लड़ाई है, इसका पहले का कोई अनुभव ही नहीं है।
3. दुनिया की योग और आयुर्वेद में दिलचस्पी बढ़ी
बिहार के हमारे साथी हिमांशु ने नमो ऐप पर लिखा- वे विदेशों से होने वाले आयात को कम से कम देखना चाहते हैं। फिर वह चाहे पेट्रोलियम, खाद्य या इलेक्ट्रॉनिक सामान हों। मुझे भरोसा है कि आत्मनिर्भर अभियान भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। जब दुनिया के नेताओं से बात होती है तो उनकी दिलचस्पी योग और आयुर्वेद में होती है।
कोरोना काल में देखा जा रहा है कि हरिद्वार से हॉलीवुड तक लोग योग अपना रहे हैं। कई लोग आयुर्वेद की तरफ लौट रहे हैं। योग कम्युनिटी, इम्युनिटी और यूनिटी के लिए बेहतर साबित हो सकता है। जीवन में योग को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने एक प्रतियोगिता शुरू की है। दुनियाभर से लोग इसमें हिस्सा ले सकते हैं। आपको योग करते हुए वीडियो पोस्ट करना है और योग से आए बदलावों को बताना है।
4. आयुष्मान भारत योजना के 80% लाभार्थी ग्रामीण क्षेत्र से
मणिपुर में 6 साल के बच्चे को आयुष्मान भारत योजना से नया जीवन मिला। उसे मस्तिष्क की बीमारी से मुक्ति मिली। उसके पिता दिहाड़ी मजदूर थे। कभी ऐसे व्यक्ति से जरूर बात करें जिसने आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराया हो। जिन गरीबों का मुफ्त इलाज हुआ, उनके सुख का अंदाजा आप लगा सकते हैं। उसके पुण्य के हकदार हमारे ईमानदार करदाता यानी आप भी हैं। आयुष्मान भारत योजना के 80% लाभार्थी ग्रामीण क्षेत्र से हैं। इनकी संख्या एक करोड़ से ज्यादा हो गई है।'
5. हम साथ रहे तो काफी कुछ बचा लेंगे
एक तरफ जहां पूर्वी भारत तूफान अम्फान से हुए नुकसान से जूझ रहा है, वहीं, कई हिस्सों में खेती पर टिड्डी दल का हमला हुआ है। हम साथ रहे तो काफी कुछ बचा लेंगे।
6. बारिश की एक-एक बूंद बचाना है
उन्होंने कहा, 'जैव विविधता दिवस आने वाला है। लॉकडाउन में जीवन की रफ्तार धीमी हुई है, लेकिन कई पशु-पक्षी इस समय राहत की सांस ले रहे हैं। अब लुप्तप्राय समझे जा रहे पक्षियों की आवाजें आ रही हैं। हवा साफ हो गई है तो घरों से पर्वतों की चोटियां नजर आ रही हैं। हम सुनते हैं कि जल है तो कल है। बारिश की एक-एक बूंद को बचाना है। इसके लिए हमारे पास कई परंपरागत उपाय हैं। यही जल हमारी शक्ति बन जाएगा। इस वर्षा ऋतु में हम सबकी कोशिश होनी चाहिए कि पानी का संरक्षण करें। 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर पेड़ लगाएं।'
7. देश मुश्किल से पटरी पर आया है
हम सबको ध्यान रखना होगा कि कितनी तपस्या के बाद देश पटरी पर लौटा है। आपको, आपके परिवार को कोरोना से उतना ही खतरा हो सकता है। दो गज की दूरी, मास्क, हाथ धोने का उसी तरह पालन करते रहें। विश्वास है कि आप, अपनों और देश के लिए ये सावधानियां जरूर रखेंगे।